By Admin Digvijay Singh / 13 October 2023
कानपुर-भाकृअनुप-अटारी, जोन-3 कानपुर, उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदानी कृषि जलवायु क्षेत्र के 17 कृषि विज्ञान केन्द्रों की दो दिवसीय मध्यावधि समीक्षा कार्यशाला का शुभारंभ किया गया भाकृअनुप-अटारी कानपुर के निदेशक डा. शान्तनु कुमार दुबे ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों की वर्ष 2024 की कार्ययोजना की समीक्षा करने हेतु किया जा रहा है उद्घाटन सत्र में निदेशक अटारी डा. शान्तनु कुमार दुबे ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया एवं साथ ही इस कार्यशाला का क्या उद्देश्य है, यह भी संक्षेप में बताया जिसमें कार्य योजना (एक्शन प्लान) प्रमुख फोकस है तथा इस समय तक कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा किये गये कार्यों की समीक्षा भी की जा रही है
निदेशक अटारी कानपुर ने बताया की सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों कृषि के समस्त क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं परंतु किये गये कार्य का उनके द्वारा उचित डाक्यूमेंटेशन होना चाहिए जोकि पालिसी बनने एवं विश्वविद्यालयों द्वारा अनुसंधान के लिये अति-आवश्यक है प्रत्येक केवीके चयनित गाँवों में समस्या का आधार में रखते हुए तकनीक का चयन एवं प्रदर्शन करें डा. एस.के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी, कानपुर ने इस अवसर पर बताया कि प्रत्येक केवीके पर विभिन्न विषयों के विषय वस्तु विशेषज्ञों (एसएमएस) का दायित्व है
कि कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्षेत्र में किसानों को जो भी समस्याएं आती हैं उनका निराकरण करके किसानों के साथ कार्य करें डा. आर.आर. सिंह, निदेशक प्रसार ने आचार्य नरेन्द्र देव कृ.एवं.प्रौ. विश्वविद्यालय, अयोध्या के कृषि विज्ञान केन्द्रों के ‘विज़न’ की गहन जानकारी दी उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि जो भी तकनीकी किसानों के खेत तक जाये उसमें आने वाली समस्या का निरीक्षण एवं अध्ययन करें जैसे खरपतवार प्रबंधन एवं फर्टीलाइजर प्रबंधन, कीड़ों की समस्या आदि डा. एस.एस. सिंह, निदेशक प्रसार, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्याल, झांसी ने कृषि विज्ञान केन्द्रों पर परिचयात्मक टिप्पणी दी साथ ही उन्होंने सभी केवीके से अनुरोध किया कि धान एवं गेहूं में जो भी किस्में लगायी जा रही हैं
प्रत्येक किस्मों का कितना प्रतिशत है आदि जानकारी का उचित डाक्यूमेंटेशन आवश्यक है केवीके अगर एपीओ के साथ मिलकर तकनीकी हस्तांतरण पर कार्य करेंगे तो शत-प्रतिशत सफलता मिलेगी डा. ओ.पी. सिंह, पूर्व निदेशक प्रसार, सरदार वल्लभभाई पटेल कृ.एवं.प्रौ. विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा भी इस अवसर पर उद्बोधन दिया गया साथ ही उन्होंने उपस्थित समस्त वैज्ञानिकों को वैज्ञानिकों की तरह सोचने हेतु प्रेरित किया ।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र प्रारम्भ हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदानी कृषि जलवायु क्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्रों बलिया, मऊ, वाराणसी, अयोध्या, आजमगढ़ द्वितीय़, बाराबंकी, चन्दौली, जौनपुर प्रथम आदि ने कार्ययोजना 2024 का प्रस्तुतिकरण दिया जिसकी विशेषज्ञों ने समीक्षा कर अपनी टिप्पणी एवं सुझाव दिये कार्यशाला का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. राघवेन्द्र सिंह द्वारा किया गया!