By Admin Digvijay Singh / 28 January 2024
(राजेन्द्र केसरवानी जी की रिपोर्ट) कानपुर नगर।भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जिसमें नियमित चुनाव होते हैं। किंतु इधर कुछ वर्षों से जनता का इ.वी.एम./वी.वी.पी.ए.टी. में भरोसा उठ जाने के कारण देश की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि यह व्यवस्था लोकतंत्र के मूल सिद्धांत ‘मतदाता की इच्छानुसार मत पड़ा, जैसा पड़ा वैसा ही दर्ज हुआ और जैसा दर्ज हुआ वैसी ही मतगणना हुई‘ की कसौटी पर खरा नहीं उतर रही। हलांकि चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ एक वोटर वेरीफायेबेल पेपर ऑडिट ट्रेल लगा दिया है किंतु वी.वी.पी.ए.टी. एक बायोस्कोप जैसा हो गया है जिसमें हम सात सेकेंड के लिए अपनी पर्ची तो देख सकते हैं लेकिन उसकी गिनती नहीं होती।
सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवा निवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित ‘चुनाव हेतु नागरिक आयोग‘ देश विदेश के विशेषज्ञों से परामर्श कर इस नतीजे पर पहुंचा है कि इ.वी.एम.-वी.वी.पी.ए.टी. की व्यवस्था में शुरू से लेकर अंत तक सत्यापन सम्भव नहीं है अतः यह लोकतांत्रिक चुनाव हेतु अयोग्य है। अतः इ.वी.एम. द्वारा चुनाव कराना भारतीय चुनावी लोकतंत्र के लिए स्पष्ट एवं तत्कालीन खतरा है। हमारी मांग है कि भारत मतपत्र द्वारा मतदान की ओर लौटे जैसा कि दुनिया के कई लोकतंत्रों ने किया है ताकि जनादेश का अपहरण व चोरी न हो।